गुरुवार, 11 दिसंबर 2008

जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती


"मुबंई हमलों के बाद जनमानस का गुस्सा एक आंदोलन का रुप लेता जा रहा है। पंकज
रामेंदु मुबंई मे रहते है और लहरें चैनल से जुड़े है। उनकी लिखी लाइनों
में अक्सर आम आदमी का अक्स नज़र आता है।"



ग़जलसज़दा एक आदत है कोई परस्तिश नहीं

आतंक एक फितरत है, कोई रंजिश नहीं होती ।

रगों में बहती है गुलामी ना जाने कब से

आजादी एक हसरत है कोई बंदिश नहीं होती।

जिनकी चाहत सिर्फ मोहब्बत होती है

कांटों से भी उन्हें कोई ख़लिश नहीं होती।

फूलों की ज़ड़ों में ये चूना किसने सींचा

दिल तोड़ने से बढ़कर कोई साज़िश नहीं होती।

बुझते शोलों को हवा देना लाज़मी है 'मानव'

जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती
    बेहतरीन रचना......................

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  2. हिंदी लिखाडियों की दुनिया में आपका स्वागत।खूब लिखे। बढ़ियां लिखे। शुभकामनाएं।
    कृपया सैटिंग में जाकर बर्ड वैरिफकिशन हटा दें। टिप्पणणी करते ये परेशानी पैदा करता है।

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  3. झते शोलों को हवा देना लाज़मी है 'मानव'
    जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती


    सुभान अल्लाह !.क्या कहने

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  4. ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… इसी तरह खूब अच्छा लिखें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में बाधा न आये… धन्यवाद्।

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  5. Nahee janti ki kaunsi pankti pesh karun misaalke taurpe...harek pankti behad sundar hai...mai shabdonme varnan nahee kar sakti...phirbhi jo Anuraagji ne likhi wo yaad reh gayi hai...mastishk me bas gayi hai..!

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  6. क्या बात है
    सुभान अल्ला, मज़ा आ गया आपकी ग़ज़ल पढ़ कर
    लिखते रहें

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  7. बहुत सुंदर ...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  8. आपकी एक पंक्ति चुराई है....इस पर माफ़ करेंगे........करेंगे ना....पहली पंक्ति ही आपकी है....


    जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती......
    जिनके भीतर कुछ करने की जुम्बिश नहीं होती !!
    आदमी भूल गया है कि उसे कुछ करना भी है....
    वगरना जमीं पर उसकी पैदाईश हुई नहीं होती...!!
    हम खुशियों को भी संभालकर नहीं रख पाते....
    अगर ग़मों से हमारी आजमाईश हुई नहीं होती...!!
    अगर कुछ करना चाह ही लेते हैं हम " गाफिल "
    तो फिर किसी शक सुबहा की गुंजाईश नहीं होती !!

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  9. िजंदगी की सच्चाई को शब्दबद्ध किया है । अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  10. बुझते शोलों को हवा देना लाज़मी है 'मानव'
    जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती ।
    पूर्णत: सार्थक एवं सटीक

    हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.
    खूब लिखें,अच्छा लिखें

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  11. kya baat hai guru ji.....
    bahut hi umda aur kataksh wala likha hai......
    sota hua bhi jaag jayega ye gunj sunkar........

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  12. जिनकी चाहत सिर्फ मोहब्बत होती है

    कांटों से भी उन्हें कोई ख़लिश नहीं होती।
    कलम से जोड्कर भाव अपने
    ये कौनसा समंदर बनाया है
    बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
    सुंदर रचना संसार बनाया है
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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  13. हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!!
    इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!!
    स्वागतम्!
    लिखिए, खूब लिखिए!!!!!


    प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें

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  14. सच कहा है
    बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
    हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
    टेम्पलेट अच्छा चुना है

    कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
    http://www.ucohindi.co.nr

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  15. दिल तोड़ने से बढ़कर कोई साज़िश नहीं होती। जज़्बातों की राख में कोई तपिश नहीं होती ।
    खूब लिखा है आपने. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.

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