शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

चांदनी चौक टू चाइना घोर संयोगो से भरा सफ़र






पंकज रामेन्दू आपको इस हफ्ते सीसी2सी यानी चांदनी चौक से चाइना की यात्रा करने से मना कर रहें हैं---


चांदनी चौक टू चाइना रिलीज़ होने से पहले अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान कहा था कि मेरी फिल्म को दिमाग से नहीं दिल से देखना। तकनीकी तौर पर तो दिल का सोचने में कोई भूमिका नहीं होती है लेकिन अगर हम अक्षय की बात को साहित्यिक नज़रिये से लेकर भी फिल्म को देखते हैं तो इस फिल्म को देखने के लिए दिल भी गवारा नहीं करेगा।
चांदनी चौक टू चाइना एक ऐसी फिल्म है जिसे देखते हुए आप लगेगा की आप किसी ठेले पर बिकने वाले उपन्यास को पढ़ रहे हैं जिसमें कहानी को आगे बढ़ाने के लिए घोर संयोगो का सहारा लिया जाता है। यहां तक भी रहता तो ठीक था लेकिन फिल्म में जिस तरह से अक्षय ने अपनी कॉमेडी का सहारा लिया वो ऐसा लगता है जैसे अक्षय को अब सिर्फ ये ही एक्टिंग आती है।
एक विदेशी फिल्म के अंदाज़ में शुरू हुई इस फिल्म की कहानी चाइना से शुरू होती है जहां एक लड़ाका ल्यू शैंग जो चाइना को बचाने के लिए हमेशा लड़ता रहता है कि लड़ाई के दौरान मौत हो जाती है और वहां एक गांव पर विलेन होजो का कब्ज़ा हो जाता है, होजो से गांव को बचाने के लिए गांववाले भगवान से प्रार्थना करते हैं और उन्हें मालूम चलता है कि ल्यू शैंग का इंडिया में पुनर्जन्म हुआ है, यहां से फिल्म में अक्षय यानि सिद्धू आते हैं जो कि चांदनी चौक टू चाइना के परांठा वाली गली में एक बावर्ची है औऱ मिथुन यानि दादा के ढाबे पर काम करता, सिद्धू एक ऐसा किरदार है जो मेहनत से ज्यादा किस्मत पर भरोसा करता है औऱ उसका दादा उसे हमेशा समझाता रहता है कि ज़िंदगी में जो होता है वो मेहनत होती है, सिद्धू की जिंदगी में एक और किरदार है वो हे ज्योतिष चॉपस्टिक यानि रणवीर शौरी। वो सिद्धू को बेवकूफ बनाता है औऱ चाइना से आए लोग जो अक्षय को ल्यू शैंग का पुनर्जन्म मानते हैं और उसे होजो का मारने के लिए चाइना ले जाना चाहते हैं उनकी इस बात को अक्षय से छुपा लेता है और ये बताता है कि वो चाइना का एक राजा है, अक्षय इस बात को मानते हुए चाइना जाने के लिए तैयार हो जाता है, इसी बीच एक औऱ किरदार है दीपिका जो एक कंपनी की मॉ़डल है, दीपिका का ही दूसरा रोल है जो चाइनीज़ लुक में दिखी है वो होजो के गैंग में शामिल है। ये दोनो दीपिका बहन है जो चाइनीज़ फादर औऱ इंडियन मदर की संताने है यहां फिर संयोग और दोनों बिछड़ जाती है, फिल्म के अंत में दोनो मिलती है, मिथुन को होजो मार देता है अक्षय को पूरी तरह तोड़ दिया जाता है, दीपिका के पिता अक्षय को मार्शल आर्ट सिखाते हैं, अक्षय यानि सिद्धू जो अपने दादा यानि मिथुन को दिलोजान से चाहता है उसकी मौत हो जाती है लेकिन पूरी फिल्म में अक्षय के चेहरे पर वो दर्द कहीं नज़र नहीं आता है, यहां तक कि मार्शल आर्ट सीखने के दौरान भी सिर्फ कॉमेडी बल्कि यूं कहें ज़बर्दस्ती की कॉमेडी को घुसाया गया है। अक्षय कुमार की कॉमेडी अब उबाने लगी है हर फिल्म में वो एक जैसे ही नज़र आते हैं, रणवीर शौरी जैसे परिपक्व कलाकार भी फिल्म में कुछ जान नहीं डाल पाये, मिथन चक्रवर्ती थोड़ा बहुत प्रभावित करते हैं और दीपिका पादुकोण भी अच्छी एक्टिंग कर गई है, हालांकि फिल्म में दीपिका के चाइनीज़ लुक की तारीफ करनी होगी, जिसमें वो वाकई में चाइनीज़ दिखती है, और अपनी एक्टिंग से दर्शकों को प्रभावित कर जाती है। कुल मिलाकर चांदनी चौक टू चाइना जैकी चैन की एक फिल्म रिवेन्ज की कॉपी लगती है, जिसे मनमोहन देसाई के मसाले के साथ पकाने की कोशिश की गई लेकिन फिल्म में स्क्रिप्ट की जो आंच थी वो सही तरह से नहीं पड़ सकी और कुल मिलाकर ये फिल्म जला हुआ खाना साबित होती है।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें